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भारत में भूमि सुधार

भारत में भूमि सुधार कृषि कार्यों में भूमि सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। भूमि के पट्टे का आकार, वितरण तथा स्वामित्व, कृषक की सामाजिक¬आर्थिक स्थिति का निर्धारण करता है। ये सभी कारक, भारत के कृषि की संस्थागत संरचना के महत्त्वपूर्ण भाग हैं। कृषि के संस्थागत संरचना, कृषि उत्पादकता को प्रभावित करती है। भारत में भूमि का स्वामित्व व नियन्त्राण मुट्ठी भर लोगों के हाथ में था जिनका उद्देश्य किराऐदारों से ज्यादा किराया वसूल करना था। जिसके परिणामस्वरूप भारत में कृषि उत्पादकता का लगातार ह्रास हुआ तथा किरायेदारों के शोषण की वजह से उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति भी लगातार खराब होती गई। भारत में भूमि सुधार, कृषि उत्पादकता बढ़ाने तथा किरायेदारों को शोषण से मुक्त करने के लिए किऐ गये थे। भूमि सुधार का औचित्य भारत में जोत का आकार छोटा है तथा साथ ही साथ बिखरा हुआ है। जो कृषि उत्पादन के लिए अलाभकारी है। भारत में भूमि वितरण में भी बहुत असमानता देखने को मिलती है। भारत में भूमि का ज्यादातर भाग कुछ लोगों के स्वामित्व है तथा एक छोटा भाग ही बहुत बड़ी जनसंख्य