भारत में गरीबी की समस्या: नई सोच की आवश्यकता
भारत में गरीबी की समस्या: नई सोच की आवश्यकता “ गरीबी बहुत-सी आर्थिक परिस्थितियों का परिणाम है इसलिए गरीबी की समस्या को हल करने के लिए स्वयं गरीबी की संकल्पना से परे जाना होगा I यह जानना काफी नहीं कि कितने लोग गरीब है , बल्कि यह जानना महत्वपूर्ण है कि गरीब लोग कितने गरीब है I भारत में गरीबी का जारी रहना एक बड़ी चुनौती है गरीबी का सम्बन्ध केवल आय या कैलोरी से जोड़कर करना सही नहीं होगा , बल्कि हमें यह देखना चाहिए कि लोगों कि बीमारियों से कहाँ तक रक्षा हो पाई है , उनके लिए रोटी , कपड़ा , मकान , शिक्षा , स्वास्थ्य , व रोजगार की सुविधाओं का विस्तार करना होगा. गरीबों को केवल सस्ती शिक्षा , सस्ता अनाज और सस्ती दवाईया , सस्ता आवास दे देने मात्र से उनकी गरीबी दूर नहीं होगी. जिस प्रकार हम गरीबी और गरीबी रेखा पर सोच-विचार करते है , ठीक उसी प्रकार अमीरी और अमीरी रेखा के निर्धारण पर भी सोचना होगा. गरीबों के जीवनस्तर को जिन्दा रहने लायक स्तर से ऊपर उठाना होगा. उन्हें केवल जीवनरेखा को पार करना ठीक वैसा ही होगा , जैसे गहरे पानी में डूबे हुए व्यक्ति को किनारे पर लाकर पटक देना. उसे इस स्थिति के पश्च