ग्लोबल वार्मिंग और खाद्य आपूर्ति
ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी की सतह का दीर्घकालिक ताप है जो पूर्व-औद्योगिक काल (1850 और 1900 के बीच) से मानवीय गतिविधियों, मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन जलने के कारण देखा गया है, जो पृथ्वी के वायुमंडल में गर्मी-फैलाने वाले ग्रीनहाउस गैस के स्तर को बढ़ाता है। ग्लोबल वार्मिंग का मतलब केवल गर्मी के मौसम में ज्यादा तापमान ही नहीं है. बल्कि इससे पूरे साल भर के मौसम में बदलाव आने के साथ सूखा, बाढ़, भीषण ग्रीष्म लहरें जैसी चरम मौसमी घटनाएं भी देखने को मिलती हैं. इस तरह से जलवायु में समग्र बदलाव को जलवायु परिवर्तन के नाम से जाना जाता है जिसका ग्लोबल वार्मिंग केवल एक पहलू मात्र है. लेकिन इनके नतीजे बड़े व्यापक है और इनमें से एक है और एक बड़ा असर है हमारी खाद्य आपूर्ति पर असर. नए अध्ययन में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया में वैश्विक खाद्य आपूर्ति साथ ही गेहूं उत्पादन के पर भी बहुत ज्यादा विपरीत असर पड़ेगा. टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के फ्रीडमैन स्कूल ऑफ न्यूट्रिशन साइंस एंड पॉलिसी में किए गए एक अध्ययन के कारण इस समस्या ने ध्यान आकर्षित किया है। विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है कि इस बात की अधिक