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Showing posts from March, 2024

हरित सकल घरेलू उत्पाद

                   हरित सकल घरेलू उत्पाद  (Green GDP)               हरित सकल घरेलू उत्पाद या ग्रीन जीडीपी (Green GDP)  पर्यावरण के लिये लाभप्रद एवं हानिकारक, दोनों तरह के उत्पादों और उनके सामाजिक मूल्य का लेखा-जोखा है। यह उत्पादों के पर्यावरणीय प्रभाव के आधार पर उनके वर्गीकरण तथा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय  के आपूर्ति एवं उपयोग तालिका का प्रयोग कर डेटा संग्रहण एवं विश्लेषण की एक पद्धति पर आधारित है। ग्रीन जीडीपी (Green GDP) की गणना सकल घरेलू उत्पाद से शुद्ध प्राकृतिक पूंजी खपत को घटाकर की जाती है। इसमें संसाधनों की कमी, पर्यावरण क्षरण और पर्यावरण संरक्षण गतिविधियां शामिल हैं। इन गणनाओं का उपयोग शुद्ध घरेलू उत्पाद (एनडीपी) के लिए भी किया जा सकता है, जो सकल घरेलू उत्पाद से पूंजी मूल्यह्रास घटाता है। चूंकि राष्ट्रीय खाते इस तरह से व्यक्त किए जाते हैं, इसलिए किसी भी संसाधन निष्कर्षण गतिविधि का मौद्रिक मूल्य में अनुवाद करना हमेशा आवश्यक होता है। ग्रीन जीडीपी एक संकेतक है जो किसी देश के पारंपरिक जीडीपी से प्राकृतिक संसाधनों की कमी और पर्यावरणीय क्षति की लागत का घटाव करता है।

Globalisation: Opportunity or Threat?

                  Globalisation: Opportunity or Threat? Globalisation dates back to the voyage of the courageous sailors such as Vasco D gamma, Christopher Columbus. Globalisation has progressed through trade, travel, migration, cultural exchanges and spread of knowledge. In India, globalisation dates back to the ancient period in which India had trade and cultural relations with the countries such as Sri Lanka, Greece and Persia. Now-a-days, globalisation has become a catchword. It has initiated the process of integration of the whole world into a global village, a huge global market, overcoming all types of barriers i.e., trade, political, geographical barriers. It is noteworthy that changes in technology, in international politics, in international trade, have accelerated the process of globalisation.   Globalisation is transforming trade, finance, employment, migration, technology, communications, the environment, social systems, ways of living, cultures, and patterns of gov

न्यूनतम समर्थन मूल्य

                                  न्यूनतम समर्थन मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP)   वह मूल्य है जिस पर   सरकार किसानों से फसल खरीदती   है। एमएसपी ( MSP) किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम मूल्य देने के लिए अपनाया गया है ताकि किसानो को फसल बिक्री के समय होने वाले जोखिमों को   कम किया जा सके। एमएसपी को किसानों की उत्पादन लागत के साथ- साथ उनकी आजीविका के लिए भी लाभकारी माना जाता है। भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP)  आधारित खरीद प्रणाली का उद्देश्य फसलों को प्रभावित करने वाले अनियंत्रित कारकों जैसे मानसून , बाजार एकीकरण की कमी , सूचनाओं की कमी और भारतीय कृषि को प्रभावित करने वाली अन्य बाजार संबंधित कमियों के कारण होने वाली कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाना है।    केंद्र सरकार के   कृषि लागत और मूल्य आयोग   द्वारा पहचानी गई प्रमुख समस्याओं की उपयुक्त जांच करने के बाद   भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP)  निर्धारित की जाती है। एमएसपी के अंतर्गत ,  कृषि लागत और मूल्य आयोग ( CACP)  24 विशिष्ट फसलों के लिए कीमतों और   गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य  (Fair and Remunerative Price) की