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आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप

आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप आरक्षण उस प्रक्रिया का नाम है जिसमे भारत की सरकार द्वारा सरकारी संस्थानोँ मेँ कुछ पिछड़ी जातियो के लिए सीटेँ रोक ली जाती है।अर्थात उस स्थान पर केवल एक विशेष जाति का व्यक्ति ही काम कर सकता है।यह विशेष जातियाँ वह वर्ग है जिन्हे प्राचीन भारत मेँ निचली जाती का दर्जा दिया जाता था , और इन लोगो को उच्च वर्ग के नीचे उनके आदेशो पर ही जीवन बसर करना पड़ता था। जिस वजह से वे कभी अपना व अपने परिवार का उद्धार नहीँ कर पाते थे। भारत मेँ आरक्षण की शुरुआत ब्रिटिश राज मेँ ही कर दी गई थी। 1882 में हंटर कमीशन से शुरू हुई इस आरक्षण प्रणाली का 1932 में अंग्रेजों ने अपनी सत्ता का प्रयोग करते हुए एक सांप्रदायिक बंटवारे के तहत दलितों और अन्य धर्मों को बांटने के लिए किया था। महात्मा गांधी ने इसकी कड़ी मुखालफत की , लेकिन अंतत: वह इस मुद्दे पर अंबेडकर के साथ समझौते के लिए तैयार हो गए। आरक्षण की लड़ाई में संविधान सभा में एक वोट की कमी से आरक्षण प्रस्ताव पारित नही होने पर डॉ. अम्बेडकर के सामने SC/ST को आरक्षण देने संबंधी गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई थी , लेकिन आंबेडकर ने अपनी

डिजिटल इंडिया

                                    डिजिटल इंडिया 1 जुलाई 2015 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट की शुरुआत की गयी थी। देश के लोगों के बेहतर विकास और वृद्धि के लिये तथा रुपांतरित भारत के लिये ये एक प्रभावशाली योजना है। यह डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था (नॉलेज बेस्ड इकॉनमी) बनाने के लिए एक कार्यक्रम है। एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके लिए सरकार ने 1,13,000 करोड़ का बजट रखा है। इस कार्यक्रम के तहत 2.5 लाख पंचायतों समेत छ: लाख गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने का लक्ष्य है और सरकार की योजना 2017 तक यह लक्ष्य पाने की है। अब तक इस योजना के तहत 55 हजार पंचायतें जोड़ी गई हैं। उद्देश्य डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के नौ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं : 1. ब्रॉडबैंड हाइवेज-   ब्रॉडबैंड हाइवे निर्माण से अगले तीन सालों के भीतर देशभर के ढाई लाख पंचायतों को इससे जोड़ा जाएगा और लोगों को सार्वजनिक सेवाएं मुहैया करायी जायेंगी. 2. मोबाइल कनेक्टिविटी सभी के लिए - देश के 55,000 गांवों में अगले पांच वर्षों के भीतर मोबाइल संपर्क की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए 20,000

भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय आर्थव्यवस्था 1.     भारत में पहली जनगणना की शुरुआत :-1872( लार्ड मेयो के काल में ) 2.     देश में नियमित जनगणना की शुरुआत :-   1881( लार्ड रिपन के काल में ) 3.     स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना :-   1951 में 4.     जनसँख्या का महाविभाजक दशक :-   1911-21 5.     जनसँख्या का लघु विभाजक वर्ष :-   1951 6.     जनगणना की अवधि :-   प्रतिएक 10 वर्ष पर 7.     जनसँख्या का अध्ययन :-   डेमोग्राफी ( जनांकिकी ) 8.     2011 की जनसँख्या का क्रम :-   देश की 15 वी तथा स्वतंत्र भारत की 7 वी 9.     2011 की जनगणना का आदर्श वाक्य :- हमारी जनगणना हमारा भविष्य 10.   जनगणना का शुभंकर :- प्रगणक शिक्षिका 11.   प्रथम जनगणना कमिशनर :- डब्ल्यू प्लाडैन 12.   स्वतंत्र भारत के प्रथम जनगणना आयुक्त :-   डॉ सी चंद्रमोली 13.   पहली बार जाती आधारित जनगणना :-   1931 14.   विश्व जनगणना दिवस ;-  11 जुलाई 15.   कुल जनगणना l:-  121.05 करोड़ 16.   भारत में विश्व जनगणना का भाग :-17.