डिजिटल इंडिया



                                 डिजिटल इंडिया
1 जुलाई 2015 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट की शुरुआत की गयी थी। देश के लोगों के बेहतर विकास और वृद्धि के लिये तथा रुपांतरित भारत के लिये ये एक प्रभावशाली योजना है। यह डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था (नॉलेज बेस्ड इकॉनमी) बनाने के लिए एक कार्यक्रम है। एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके लिए सरकार ने 1,13,000 करोड़ का बजट रखा है। इस कार्यक्रम के तहत 2.5 लाख पंचायतों समेत छ: लाख गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने का लक्ष्य है और सरकार की योजना 2017 तक यह लक्ष्य पाने की है। अब तक इस योजना के तहत 55 हजार पंचायतें जोड़ी गई हैं।
उद्देश्य
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के नौ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं :
1. ब्रॉडबैंड हाइवेज- ब्रॉडबैंड हाइवे निर्माण से अगले तीन सालों के भीतर देशभर के ढाई लाख पंचायतों को इससे जोड़ा जाएगा और लोगों को सार्वजनिक सेवाएं मुहैया करायी जायेंगी.
2. मोबाइल कनेक्टिविटी सभी के लिए - देश के 55,000 गांवों में अगले पांच वर्षों के भीतर मोबाइल संपर्क की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए 20,000 करोड़ के यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) का गठन किया गया है। इससे ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग के इस्तेमाल में आसानी होगी।
3. पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम- भविष्य में सभी सरकारी विभागों तक आम आदमी की पहुंच बढ़ाई जाएगी। पोस्ट ऑफिस के लिए यह दीर्घावधि विजन वाला कार्यक्रम हो सकता है। इस प्रोग्राम के तहत पोस्ट ऑफिस को मल्टी-सर्विस सेंटर के रूप में बनाया जाएगा। नागरिकों तक सेवाएं मुहैया कराने के लिए यहां अनेक तरह की गतिविधियों को चलाया जाएगा।
4. ई-गवर्नेस- प्रौद्योगिकी के जरिए सरकार को सुधारना- सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए बिजनेस प्रोसेस री-इंजीनियरिंग के ट्रांजेक्शंस में सुधार किया जाएगा। विभिन्न विभागों के बीच आपसी सहयोग और आवेदनों को ऑनलाइन ट्रैक किया जाएगा। इसके अलावा, स्कूल प्रमाण पत्रों, वोटर आइडी कार्डस आदि की जहां जरूरत पड़े, वहां इसका ऑनलाइन इस्तेमाल किया जा सकता है। यह कार्यक्रम सेवाओं और मंचों के एकीकरण- यूआइडीएआइ (आधार), पेमेंट गेटवे (बिलों के भुगतान) आदि में मददगार साबित होगा। साथ ही सभी प्रकार के डाटाबेस और सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से मुहैया कराया जाएगा।

5. ई-क्रांति- सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी- इसमें अनेक बिंदुओं को फोकस किया गया है। इ-एजुकेशन के तहत सभी स्कूलों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने, सभी स्कूलों (ढाई लाख) को मुफ्त वाइ-फाइ की सुविधा मुहैया कराने और डिजिटल लिटरेसी कार्यक्रम की योजना है। किसानों के लिए रीयल टाइम कीमत की सूचना, नकदी, कर्ज, राहत भुगतान, मोबाइल बैंकिंग आदि की ऑनलाइन सेवा प्रदान करना। 
स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऑनलाइन मेडिकल सलाह, रिकॉर्ड और संबंधित दवाओं की आपूर्ति समेत मरीजों की सूचना से जुड़े एक्सचेंज की स्थापना करते हुए लोगों को इ-हेल्थकेयर की सुविधा देना। न्याय के क्षेत्र में इ-कोर्ट, इ-पुलिस, इ-जेल, इ-प्रॉसिक्यूशन की सुविधा,  वित्तीय इंतजाम के तहत मोबाइल बैंकिंग, माइक्रो-एटीएम प्रोग्राम चलाया जाएगा।
6. सभी के लिए जानकारी- इस कार्यक्रम के तहत सूचना और दस्तावेजों तक ऑनलाइन पहुंच कायम की जाएगी। इसके लिए ओपन डाटा प्लेटफॉर्म मुहैया कराया जाएगा, जिसके माध्यम से नागरिक सूचना तक आसानी से पहुंच सकेंगे। नागरिकों तक सूचनाएं मुहैया कराने के लिए सरकार सोशल मीडिया और वेब आधारित मंचों पर सक्रिय रहेगी। साथ ही, नागरिकों और सरकार के बीच दोतरफा संवाद की व्यवस्था कायम की जाएगी। 
7. इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में आत्मनिर्भरता- इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़ी तमाम चीजों का निर्माण देश में ही किया जाएगा। इसके तहत नेट जीरो इंपोर्ट्सका लक्ष्य रखा गया है ताकि 2020 तक इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सके। इसके लिए आर्थिक नीतियों में संबंधित बदलाव भी किए जाएंगे। फैब-लेस डिजाइन, सेट टॉप बॉक्स, वीसेट, मोबाइल, उपभोक्ता और मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्ट एनर्जी मीटर्स, स्मार्ट कार्डस, माइक्रो-एटीएम आदि को बढ़ावा दिया जाएगा।
8. रोजगारपरक सूचना प्रौद्योगिकी - देशभर में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार से रोजगार के अधिकांश प्रारूपों में इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है। इसलिए इस प्रौद्योगिकी के अनुरूप कार्यबल तैयार करने को प्राथमिकता दी जाएगी। कौशल विकास के मौजूदा कार्यक्रमों को इस प्रौद्योगिकी से जोड़ा जाएगा।
संचार सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियां ग्रामीण कार्यबल को उनकी अपनी जरूरतों के मुताबिक प्रशिक्षित करेंगी। गांवों व छोटे शहरों में लोगों को आइटी से जुड़े जॉब्स के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। आइटी सेवाओं से जुड़े कारोबार के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए दूरसंचार विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
9. अर्ली हार्वेस्ट प्रोग्राम्स- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लागू करने के लिए पहले कुछ बुनियादी ढांचा बनाना होगा यानी इसकी पृष्ठभूमि तैयार करनी होगी। साथ ही, इसके लिए कुशल श्रम शक्ति की भी जरूरत पड़ेगी जिसे तैयार करना होगा।
डिजिटल इंडिया की परेशानियां और चुनौतियां
इंटरनेट स्पीड : डिजिटल इंडिया पूरी तरह से इंटरनेट पर आधारित है। ई- भारत का सपना तब ही  पूरा होगा जब इंटरनेट की गति तीव्र होगी, लेकिन हम इंटरनेट की गति में बहुत पीछे हैं। दुनिया में  हमारा नंबर 52वां है। यहां डाउनलोड स्पीड 2 एमबीपीएस है। 
सुरक्षा पर खतरा : देश की कम्प्यूटर तथा सूचना प्रणाली इंटरनेट से जुड़ी हुई है। इन पर विदेशी  कंपनियों का आधिपत्य है। तकनीक के स्वदेशी विकास तथा विदेशी कंपनियों पर नियंत्रण के बगैर  डिजिटल इंडिया का विस्तार विनाशकारी होने के साथ ही देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बना  रहेगा।
बच्चों की इंटरनेट पर सक्रियता  : ई-बैग जैसी सुविधाओं से कम उम्र के बच्चे भी इंटरनेट का प्रयोग करेंगे और  ऐसा माना जा रहा है कि डिजिटल इंडिया से बच्चों की इंटरनेट पर सक्रियता बढ़ जाएगी। इससे वे  इंटरनेट की अन्य सामग्रियों को भी देखेंगे, जिसका दुष्प्रभाव उन पर पड़ेगा।
बिजली की परेशानी : इंटरनेट पर कार्य करने के लिए बिजली का होना आवश्यक है। स्मार्ट फोन  की बात छोड़ दी जाए तो गांवों में तो अभी भी कम्प्यूटर पर इंटरनेट चलाया जाता है। ऐसे में बगैर  बिजली के इंटरनेट कैसे चलेगा जबकि गांवों में आज भी बिजली की 24 घंटे उपलब्धतता नहीं है।  आज भी गांवों में 12 से 20 घंटे बिजली की कटौती होती है। डिजिटल इंडिया के रास्ते में यह सबसे  बड़ी परेशानी होगी। 
प्रशिक्षण का अभाव : डिजिलट इंडिया में टेक्नोलॉजी से आम इंसान का काम तो आसान बनेगा, लेकिन उन्हीं का जिन्हें इंटरनेट का पूर्ण ज्ञान हो। अब अगर गांव में रहने वाले लोगों की बात की जाए तो आज भी इंटरनेट प्रशिक्षण में पीछे हैं। ऐसे में जालसाजी और धोखाधड़ी का भी डर बना रहेगा। इसके लिए जरूरी है कि पहले तकनीक का पूरा ज्ञान देना होगा, उसके बाद ही भारत को डिजिटल बनाने का सपना पूरा हो सकेगा। 
ई कॉमर्स कंपनियों का वर्चस्व : देश में ई कॉर्मस का मौजूदा बाजार करीब 13 अरब डॉलर का है। इस व्यापारिक मॉडल में न्यूनतम रोजगार के नकारात्मक पहलू के अलावा देश का पैसा ई- कॉमर्स प्लेटफॉर्म से विदेश जा रहा है। इन कंपनियों द्वारा करोड़ों की टैक्स चोरी भी की जाती है। डिजिटल इंडिया की शुरुआत से इनके हौसले और बुलंद हो जाएंगे। डिजिटल इंडिया से इनकी पैठ भारत के उपभोक्ताओं तक और बढ़ेगी।
गांव-शहर के बीच डिजिटल गैप :  केंद्र सरकार ने कहा है कि इस कार्यक्रम के जरिये वह भारत और इंडिया के बीच का फर्क मिटा देगी। ग्रामीण एवं शहरी सभी लोगों को समान रूप से डिजिटल सेवाओं का फायदा मिलेगा, लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है। आज देश में तकरीबन सौ करोड़ फोन कनेक्शन हैं, जिनमें 58 करोड़ कनेक्शन शहरों और 42 करोड़ गांवों में हैं। यह संख्या शहरों में सिर्फ 32 फीसदी है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 68 फीसदी आबादी निवास करती है। शहरी इलाकों में टेलीफोन घनत्व 149 है तो गांवों में इसका घनत्व है महज 49

शहर-गांव के इस असंतुलन को पाटना एनडीए सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। सरकार बीएसएनएल को नए सिरे से तैयार कर रही है और इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए बीएसएनएल 1.5 करोड़ नए कनेक्शन जारी करेगा। लक्ष्य यह है कि 2019 तक हर गांव में टेलीफोन सेवा पहुंच जाए। साथ ही ट्राई ने 2020 तक तेज रफ्तार इंटरनेट घर-घर तक पहुंचाने की भी योजना बनाई है। सरकार चाहती है कि हर पंचायत ब्रॉडबैंड से जुड़े, लेकिन उसकी नीति में स्थानीय जरूरतों की उपेक्षा हो रही है। जैसे ग्रामीणों की आर्थिक हैसियत इत्यादि पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार को सोचना चाहिए कि शहरों की तरह गांवों में इंटरनेट नहीं बेचा जा सकता है। इस खाई को पाटना कोई सरल काम नहीं होगा।




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